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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस भाग 11

हीरेन की दलीलों ने राज मल्होत्रा मर्डर केस को और उलझा दिया था । अब कातिल रिषिता नहीं कोई और लग रहा था पर हीरेन ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया था कि आखिर कातिल है कौन ? शक की सुंई पवित्रा और वीरेंद्र पर भी घूमने लगी थी । लीना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे ? कातिल यदि और कोई है तो फिर से जांच होगी । फिर से गवाही होगी और फिर सारी प्रक्रिया नये सिरे से होगी । इसमें तो बहुत समय लगेगा । तब तक कातिल क्या मौज मनाऐंगे ? तब लीना का दिल कितना रोएगा ? नहीं, लीना को यह मंजूर नहीं है । उसने सोचा । "क्या हीरेन की दलीलों पर ही यह कोर्ट चलेगा" ?

लीना अपनी सीट से खड़ी हुई और बहस करती हुई बोली "मेरे साथी वकील बहुत देर से अनर्गल बातें बता कर अदालत का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं, योर ऑनर । उन्होंने यह तो बताया है कि खून रिषिता ने नहीं किया पर यह नहीं बताया कि खून किसने किया था ? मेरे काबिल दोस्त अपनी मुवक्किल को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं पर उन्होंने किसी भी सबूत का खंडन नहीं किया है । उस रात रिषिता राज मलहोत्रा के फॉर्म हाउस पर ही थी इस तथ्य के अनेक सबूत हैं । दरवाजों , नल की टोंटियों आदि पर उसके हाथों के निशान मिले हैं । स्विमिंग पूल से उसके कानों की एक बाली मिली है जिसकी पहचान स्वयं रिषिता ने की है । और तो और राज के कमरे से यूज्ड कंडोम और उसका रैपर चीख चीख कर कह रहा है कि रिषिता कैसे चरित्र की लड़की है ।

रिषिता को पैसा चाहिए था , इसीलिए उसने राज मल्होत्रा को अपने रूप के जाल में फंसाया । फिर उसने उस पर दबाव बनाया कि वह उससे शादी कर ले पर राज रिषिता के दबाव में नहीं आया । बस इसी बात से खफा होकर रिषिता ने उसकी हत्या कर दी । कॉफी बनाने की कहानी तो उसके बाद में गढ़ी गई थी जिससे शक की सुंई किसी और की तरफ मोड़ी जा सके । पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कह रही है कि राज की हत्या दम घुटने से हुई थी और राज की लाश के गले पर कोई निशान भी नहीं पाये गये थे । ऐसी दशा में यही कहा जा सकता है कि राज की हत्या किसी "कुशन" से राज का मुंह बंद कर की गई थी । एक कुशन पर रिषिता के हाथों के निशान भी पाए गये हैं । क्या ये सबूत पर्याप्त नहीं हैं मी लॉर्ड ? लीना मल्होत्रा का चेहरे आक्रोश से लाल होने लगा था ।

उसने आगे कहना शुरू किया कि "क्या लीना के घर से बरामद नोटों का बैग उसके अपराध का सबूत नहीं है ? जिस बैग में पैसे मिले थे वह बैग रिषिता का ही था । उसे रिषिता ने स्वयं पहचाना भी है , क्या मेरे विपक्षी मित्र को उससे भी इन्कार है ? इस केस में कत्ल का मकसद साफ है , पैसा जो रिषिता के बैग से उसके घर से मिला था  । कत्ल कुशन से किया गया था जिस पर रिषिता की उंगलियों के निशान हैं । सारे सबूत चीख चीख कर कह रहे हैं कि कत्ल रिषिता ने ही किया है । इस केस में अब कोई दम नहीं बचा है योर ऑनर । यह केस शीशे की तरह एकदम साफ है इसलिए रिषिता को राज मलहोत्रा के कत्ल में फांसी पर लटकाने का आदेश दीजिए मैम । दैट्स ऑल मी लॉर्ड" ।

लीना ने फिर से सुंई रिषिता की ओर मोड़ दी । लीना के तर्क अकाट्य थे और अभी तक हीरेन ने भी उनका कोई खंडन नहीं किया था । लीना की बहस सुनकर रिषिता रोने लगी । उसे लगने लगा था कि अब उसे हीरेन भी नहीं बचा पायेगा । रिषिता की हालत देखकर हीरेन को भी बहुत दुख हुआ । वह खड़ा होकर कहने लगा ।  "योर ऑनर, राज मल्होत्रा के कत्ल के पश्चात पहली बार वहां पर वीरेन्द्र पहुंचा था , ऐसा वीरेन्द्र का कहना है । फिर वीरेन्द्र ने राज मल्होत्रा की पत्नी लीना मल्होत्रा को बुलवाया था । उसके पश्चात लीना मल्होत्रा ने इंस्पेक्टर आकाश को बुलवाया था । राज मल्होत्रा का कत्ल होने और इंस्पेक्टर आकाश के पहुंचने में लगभग चार घंटे का अंतर है योर ऑनर । इन चार घंटों में वीरेन्द्र और लीना मल्होत्रा ने सबूतों के साथ क्या क्या छेडछाड की इसका पता कैसे लगेगा ? इंस्पेक्टर आकाश ही इस बारे में कुछ प्रकाश डाल सकते हैं । अत: मैं विटनेस बॉक्स में इंस्पेक्टर आकाश को बुलाना चाहूंगा योर ऑनर" । हीरेन ने कहा ।

हीरेन की बात का न तो सरकारी वकील ने विरोध किया और न लीना मल्होत्रा ने । इसलिए जज अनिला तिवारी ने इंस्पेक्टर आकाश को विटनेस बॉक्स में आने का आदेश दे दिया ।  "एक बात बताइये इंस्पेक्टर साहब कि आपने क्या रुपयों से भरा बैग रिषिता के कमरे से बरामद किया था" ?  "जी हां"  "क्या उस समय रिषिता वहां पर थी" ?  "जी नहीं"  "फिर आप कमरे में कैसे पहुंचे" ?  "ताला तोड़कर"  "खाली कमरे में रुपयों से भरा बैग रखा था और उसे आपने रिषिता का समझ लिया । क्यों" ?  "क्योंकि वह रिषिता के कमरे में मिला था । उसके कमरे से जो भी सामान मिलेगा , वह उसी का ही तो होगा" ?  "क्या आप यह दावे से कह सकते हैं कि जिसके पास से जो सामान मिलेगा, वह उसी का होगा" ?  "दावे से तो नहीं कह सकता, पर ऐसा माना जाता है"    "ये अदालत है इंस्पेक्टर, कोई आपका घर नहीं जो कभी भी कुछ भी कह दो । जरा सोच समझकर उत्तर दीजिए और उत्तर हां या ना में ही दीजिए । समझ गये ना" ?  "जी, समझ गया"  "तो आप यह दावे से कह सकते हैं क्या कि रिषिता के कमरे से बरामद बैग रिषिता का ही था" ?

आकाश थोड़ी देर सोचता रहा और अंत में उसने "हां" कह दी ।  "बिल्कुल सही कहा आपने इंस्पेक्टर कि जहां से माल बरामद होता है , उसे उसी का मान लिया जाता है" ।  फिर हीरेन ने अपनी जेब से सिगरेट का एक पैकेट निकालकर उसमें से एक सिगरेट निकालते हुए कहा "इंस्पेक्टर आकाश, जरा अपना लाइटर देंगे" ?

हीरेन के इस प्रश्न पर आकाश चौंक गया । ये क्या है ? मैं क्या लाइटर रखता हूं ? मैं तो सिगरेट ही नहीं पीता तो फिर लाइटर क्यों रखूंगा" ? हतप्रभ होते हुए आकाश बोला  "मुझे भी बड़ा आश्चर्य हुआ जब मुझे पता चला कि तुम अपनी जेब में सदैव एक लाइटर लेकर चलते हो" । हीरेन मुस्कुराते हुए बोला  "ये क्या बकवास है ? मैं अपनी जेब में लाइटर क्यों रखूंगा ? मैंने कभी भी अपनी जेब में लाइटर नहीं रखा है"  "आप झूठ बोल रहे हैं मिस्टर आकाश । आपकी जेब में अभी भी लाइटर है । कृपया उसे निकालिये" ।  "ये क्या तमाशा लगा रखा है आपने ? जब मैं कह रहा हूं कि मैं लाइटर नहीं रखता फिर भी आप जिद पर अड़े हैं" ।

अब हीरेन ने जज साहिबा से कहा "योर ऑनर, इंस्पेक्टर आकाश झूठ बोल रहे हैं । ये अपनी जेब में लाइटर रखते हैं । इन्हें दिखाने में क्या दिक्कत है ? यदि नहीं रखते हैं तो यह बात सबको पता चल जायेगी"  "दिखा दीजिए मिस्टर आकाश । इतनी छोटी सी बात पर क्या जिद करना" ? जज अनिला तिवारी ने कहा ।

आखिर आकाश को जज की बात माननी पड़ी और उसने अपनी पैंट की जेब में हाथ डाला । उसका चेहरा एकदम से फक्क हो गया । जब उसका हाथ जेब से बाहर आया तो उसमें एक गोल्डन कलर का लाइटर था । वह आश्चर्य से कभी लाइटर को देखता तो कभी जज को और कभी हीरेन को । उसके चेहरे पर कई रंग आ जा रहे थे । फिर वह अचानक बोला  "यह मेरा नहीं है । मेरा नहीं है यह लाइटर" । उसकी आवाज में कंपन्न सबको महसूस हो रहा था ।  "पर मिला तो आपकी जेब से है । है ना" ? हीरेन एक एक शब्द चबा चबाकर बोला ।  "मैं नहीं जानता कि ये मेरी जेब में कैसे आया ? पर यह मेरा नहीं है" । आकाश घबराते हुए बोला  "आपने ही तो कहा था मिस्टर आकाश कि जिस व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में जो भी कोई चीज मिलती है वह उसी की होती है । जैसे वह रुपयों से भरा बैग । क्यों है ना" ? हीरेन ने इंस्पेक्टर आकाश को निरुत्तर कर दिया ।

हीरेन की इस दलील पर अदालत तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी ।

शेष अगले भाग में  श्री हरि  9.10.23

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3 Comments

Punam verma

12-Oct-2023 07:55 AM

Nice

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Mohammed urooj khan

11-Oct-2023 12:56 PM

👌👌👌👌

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Abhinav ji

10-Oct-2023 07:40 AM

Nice

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